पालक ( SPINACH ) के औषधीय उपयोग

पालक ( SPINACH ) के औषधीय उपयोग
पालक ( SPINACH ) के औषधीय उपयोग


पालक

SPINACH

पालक मानव के लिए एक अमृत के समान लाभकारी सब्जी है तथा यह सब्जी ही अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है, क्योंकि इसमें कैल्शियम,विटामिन-सी और लौह तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। 


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पालक से कई तरह की औषधियां भी बनायी जाती हैं।

स्वाद

पालक खाने में कड़वा और खारा होता है।

स्वभाव

इसकी तासीर शीतल और ठंडी होती है।

हानिकारक

पालक की भाजी वायु कारक है, इसलिए वर्षा के मौसम में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

गुण 

पालक बच्चों, गर्भवती और स्तनपान (दूध पिलाने वाली) कराने वाली माताओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर एवं एक अच्छा खाने वाला भोजन है।

गर्भावस्थाके दिनों में महिलाओं को अधिक मात्रा में पालक का सेवन सलाद या सब्जी के रूप में करना चाहिए, पालक से होने वाले बच्चे को पोषक खुराक मिलती है, उसका रंग गोरा होता है तथा वजन भी बढ़ता है। 

पालक फेफड़े की सड़न को भी दूर करता है।आंतों के रोग,दस्त,संग्रहणी(अधिक दस्त का आना) आदि में भी पालक लाभदायक है। पालक मेंखून बढ़ाने का गुण ज्यादा है यह खून को साफ करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह स्नेहन, रुचिकारी, मूत्रल (अधिक पेशाब का आना), शोथहर (सूजन को हटाने वाला) है।

पालक में जाने वाले तत्व :पालक में विटामिन `ए´`बी´ `सी´ और `ई´ तथा प्रोटीन,सोडियम,कैल्शियम,फास्फोरस, क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन तथा लौह तत्व पाये जाते हैं। पालक खून के रक्ताणुओं को बढ़ाता है। पालक में प्रोटीन उत्पादक एमिनोएसिड अधिकतम मात्रा में हैं। पालक बुद्धि बढ़ाने में सहायक है।


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पालक के रस का कुल्ला करने से खांसी, फेफड़ों और गले की सूजन में लाभ होता है।

पालक का रस दांतों और मसूढ़ों को मजबूत बनाता है। सुबह उठकर पालक का रस पीने से पायरिया रोग से पीड़ित रोगी का रोग ठीक हो जाता है। इसमें गाजर का रस मिलाकर सेवन करने से मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।

250 ग्राम पालक के पत्ते लेकर 2 गिलास पानी में डालकर उबाल लें और जब उबलने के बाद पानी आधा बाकी रह जाये तो उसे छानकर गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।

आधा गिलास कच्चे पालक का रस रोजाना सुबह उठकर पीते रहने से कुछ ही दिनों में कब्ज ठीक हो जाती है। आंतों के रोगों में पालक की तरकारी खाने से लाभ मिलता है। पालक के पत्तों का काढ़ा बनाकर देने से पथरी पिघल जाती है और मूत्र वृद्धि होकर इसके कण बाहर निकल जाते हैं।

100 मिलीलीटर नारियल का पानी लेकर, उसमें 10 मिलीलीटर पालक रस मिलाकर पीने से दो हफ्ते में पथरी खत्म होने लगती है।

कुछ लोगों के मतानुसार पालक खाने से पथरी होती है, लेकिन यह निश्चित समझ लें कि कच्चे पालक के रस के सेवन से पथरी नहीं होती है।

पालक और 5 परवल के पीस को एक साथ उबाल लें। फिर इसे ठंडा करें इसमें थोड़ी-सी मात्रा में हरा धनिया और नमक मिलाकर जूस बना लें। इस बने जूस को अम्लपित्त से पीड़ित रोगी को सुबह-शाम पिलाने से गले व छाती में जलन, डकारे और बैचेनी में लाभ मिलता है।

पालक के बीज 3-6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से यकृत में आने वाली सूजन से छुटकारा मिलता है।15. जलोदर (पेट में पानी की अधिकता): पालक की सब्जी बिना नमक डालकर खाने से लाभ होगा।

पालक के 25 मिलीलीटर रस में गाजर का 50 मिलीलीटर रसको मिलाकर पीने से चर्बी समाप्त होने लगती है।

50 मिलीलीटर पालक के रस में 15 मिलीलीटर नींबू के रस में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।

पालक की जड़ नींबू के रस में पीसकर लगाने से एक्जिमा समाप्त होजाता है।

पालक के 50 मिलीलीटर रस में नारियल का 100 मिलीलीटर पानी मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है और जलन भी नहीं होती है।

जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए पालक, टमाटर और खीरा आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए एवं इसका सलाद बनाकर खाना चाहिए।

चौलाई का रस आधा चम्मच, पालक का रस 1 चम्मच और नींबू का रस 1 चम्मच तीनों को मिलाकर रोजाना सुबह 20 दिनों तक सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होगा।

पालक, बथुआ और मेथी आदि सब्जियों में लौह तत्त्व की मात्रा अधिक होती है। निम्न रक्तचाप में रोगी को प्रतिदिन इन सब्जियों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

पालक के पत्तों को पीसकर पट्टी बनाकर गले में बांध लें औरथोड़ी देर बाद पट्टी को खोलने से गला खुल जाएगा।

शरीर में कमजोरी आने पर या खून की कमी होने पर लगभग 250 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना पालक का रस पीना चाहिए। इससे चेहरा एकदम गुलाब की तरह लाल हो जाता है। इसके अलावा मानसिक तनाव और रक्तचाप भी ठीक रहता है।

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