पंचतत्व और हमारा शरीर

पंचतत्व और हमारा शरीर
पंचतत्व और हमारा शरीर



हमारे शरीर को सही तरीके से चलाने के लिए पंचतत्व (पांचों तत्व) अपनी बहुत ही खास भूमिका अदा करते हैं। ये पांचों तत्व आपस में एक दूसरे की मदद लेकर शरीर को संचालित करते हैं। एक तत्व दूसरे तत्व को उनकी क्रियाओं द्वारा संतुलित करते हुए असली रूप में लाते हैं। इन तत्वों के संतुलन को ही शारीरिक संगठन कहते हैं। इसका मतलब यह है कि जब तक असली तत्व संतुलित होते हैं तब तक ही कोई भी व्यक्ति ठीक रह सकता है।
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जब पंचतत्वों के किसी तत्व में कमी आ जाती है या कोई तत्व बढ़ जाता है तो शरीर का पोषण करने वाले तत्वों में गड़बड़ी आ जाती है जिसके कारण शरीर रोगों की गिरफ्त में आ जाता है।
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********************************पृथ्वी****************************************
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अगर शरीर के अंदर पृथ्वी तत्व में कुछ कमी आ जाती है तो पूरा शरीर ही बेजान सा हो जाता है क्योंकि इस तत्व से शरीर के सभी जैविक बल भी बेकार हो जाते हैं। इसलिए उन तत्वों को जागृत रखने के लिए ताकत की जरूरत पड़ती है। जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है उनके अंदर यह तत्व ज्यादा मात्रा में होता है। पृथ्वी तत्व में शरीर का पूरा ढांचा, हड्डी और मांस पूर्ण रूप से है। यह तटस्थ तत्व है।
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********************************जल********************************
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जल तत्व स्त्री-पुरुष के प्रजनन अंग लसिका ग्रंथियों का केंद्र है। यह नसों को जागृत करता है तथा प्रतिकार द्रव्य, यौन ग्रंथियों के चेतना के कोष और रजवीर्य, मांस, हड्डी और मज्जा को पैदा करता है और शरीर को स्वस्थ बनाता है।यह तत्व शरीर के जीवन प्रवाह को संतुलित करता है। इसकी प्रकृति ठंडी होती है। एक व्यक्ति के पूरे शरीर में लगभग 75 प्रतिशत तक पानी होता है। इसलिए शरीर के तापमान को बनाए रखने तथा खून की क्रियाओं में पानी का बहुत ही खास योगदान होता है।
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********************************वायु********************************
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वायु तत्व शरीर के अंदर छाती,फेफड़ों, दिल और सांस लेने की ग्रंथि में मौजूद है।वायु शरीर का मुख्य संरक्षक है तथा सामूहिक ताकत पैदा करती है। वायु का असर पूरी तरह से दिल पर पड़ता है। यह मुख्य तत्व होता है। वायु शरीर के अंदर के हर भाग का संचालन करती है। वायु के द्वारा सांस, टट्टी और पेशाब की क्रियाएं चलती हैं और दिल भी सही काम करता है।
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********************************आकाश********************************
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आकाश तत्व शरीर का अच्छी तरह से पोषण करता है और शरीर के जहर को बाहर निकालकर व्यक्ति को निरोगी बनाता है। ये थाईराइड, पैराथाईराइड,टांसिल आदि पर काबू करता हुआ हृदय का पोषण करता है। ये तत्व हृदय में भावुकता लाता है। पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में यह तत्व ज्यादा पाया जाता है। अगर आकाश तत्व में कोई गड़बड़ी आ जाती है तो इसके कारण दिल का दौरा, लकवा,बेहोशी आदि के रोग हो जाते हैं। यह तत्व पिटयुटरी ग्रंथि और पिनियल ग्रंथि का संचालन करता है।पिटयुटरी ग्रंथि नज़र, सुनने और याददाश्त को काबू करती है तथा पीनियल ग्रंथि चेतना और भावुकता को काबू करती है।
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********************************अग्नि********************************
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हमारे शरीर मेंअग्नि तत्वका मुख्य केंद्र जठर,प्लीहाऔरजिगरमें है। यह तत्व, पाचक रस और पित्तरस को पैदा करता है। अग्नि तत्व शरीर के अंदर तापमान को बनाए रखता है और सारे अंगों को जागृत रखता है। यह शरीर में मांस और खून को भी बनाने में मदद करता है।

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