फेरम फास्फोरिकम के चमत्कार

फेरम फास्फोरिकम के चमत्कार
फेरम फास्फोरिकम के चमत्कार

=============== फेरम फास्फोरिकम=================
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=========आयरन फास्फेट (Phosphate of iron)==========
फेरम फास्फोरिकम औषधि की क्रिया रोगों में धीरे-धीरे होता है। अत: इस औषधि के प्रयोग करने के तुरन्त बाद रोग ठीक नहीं होता बल्कि कुछ दिनों बाद ही रोगों में सुधार होता है। इस औषधि का प्रयोग मुख्य रूप से बुखार को ठीक करने में किया जाता है। रोगी में बुखार होने पर बुखार के शुरुआती अवस्था में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग अधिक लाभकारी होता है क्योंकि फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रभाव ऐकोनाइट व बेलाडौना औषधि की बीच वाली होती है तथा यह औषधि रोगों में जेल्सीमियम की तरह प्रभाव डालकर रोगों पर धीरे-धीरे क्रिया कर रोग को ठीक करता है।
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फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग सभी प्रकार के बुखार व जलन की शुरुआती अवस्था में किया जाता है। यह औषधि विशेष रूप से बिना स्राव वाले प्रदाह व जुकाम को ठीक करता है।
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फेरम फास्फोरिकम औषधि 2x के प्रयोग से शरीर में रक्तकणों (हीमोगोलोबिन) की मात्रा बढ़ती है।
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फेरम फास्फोरिकम औषधि शरीर के विभिन्न अंगों जैसे- नाक, कान, आंख, मसूढ़ें, पेट, जोड़ों, घाव, फोड़ा, कार्बगंल आदि की जलन वाले सूजन जो लाल व गर्म रहते हैं तथा सूजन के साथ तेज दर्द होता रहता है जो दर्द शारीरिक हलचल होने पर और बढ़ जाता है। इस तरह के लक्षणों से ग्रस्त रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि देने से जलन व दर्द से आराम मिलता है और रोग समाप्त होता है।
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खून की कमी के कारण रोगी का शरीर पीला पड़ जाना। रक्तस्राव होना तथा छिद्र से चमकता हुआ लाल खून का निकलना आदि लक्षणों वाले रोगों में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है। शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होने पर इस औषधि का प्रयोग करने से रक्तस्राव बन्द होता है।
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शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर फेरम फास्फोरिकम औषधि का उपयोग :-
===========मन से संबन्धित लक्षण ====================
रोगी का स्वभाव बदल जाना, अधिक बाते करना, खुश रहना, अधिक उत्तेजित व गुस्से में रहना, किसी बातों का सही निर्णय नहीं कर पाना, स्मरण शक्ति का कमजोर होना, किसी बात या काम को याद न रख पाना तथा बात-बात पर गुस्सा आना आदि मानसिक रोगी के लक्षणों में फेरम फास्फोरिकम औषधि देने से रोगी का स्वभाव बदलता और रोगी ठीक होता है।
==================================================================सिर से संबन्धित लक्षण =============
सिर में होने वाला ऐसा दर्द जो सिर छूने से, ठण्ड लगने से, अधिक आवाज से तथा झटका लगने से बढ़ जाता है। इस तरह के लक्षण वाले सिर दर्द में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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इसके अतिरिक्त सिर की ओर खून का तेज बहाव, धूप में निकलने से सिर दर्द, सिर में जलन होना, चक्कर आना तथा ऐसा सिर दर्द जिसमें ठण्डी पट्टी करने से आराम मिलता हो। इस तरह के लक्षणों के साथ उत्पन्न सिर रोग के लक्षणों में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है।
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==========आंखों से संबन्धित लक्षण =====================
आंखें लाल होने के साथ आंखों में जलन महसूस होना। आंखों के पलकों के नीचे रेतीले कण मौजूद होना। खसरा (चेचक) में आंखों का सूज जाना तथा आंखों की पलकों को ऊपर-नीचे करने से दर्द होना। दृश्टिचक्रिका तथा स्वच्छपटल में खून का अधिक जमाव होने के साथ धुंधला दिखाई देना आदि आंखों से संबन्धित लक्षणों में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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==========कान से संबन्धित लक्षण ===================
कानों में आवाज गूंजना, कान में जलन होना तथा कान की सूजन की ‘शुरुआती अवस्था में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है। कान के ढोल की झिल्लियां (मेम्ब्रेना टाइपनी) लाल होकर सूज जाना। कान की नई सूजन तथा कान से पीब का आना आदि में फेरम फास्फोरिकम औषधि प्रयोग किया जाता है। ठण्ड लगकर कान का सूज जाना और कान में दर्द के साथ पीब का निकलना, सिर में अधिक खून दौड़ने के कारण कान में भनभनाहट की आवाज सुनाई देना। कान में जलन और सुई चुभन जैसा दर्द होना आदि। इस तरह कान से संबन्धित लक्षणों में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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========नाक से संबन्धित लक्षण ===================
सिर में ठण्ड लगने के कारण नाक का बहना, सर्दी-जुकाम के साथ नाक का बहना तथा नाक से चमकदार खून निकलना आदि रोगों में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
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=========चेहरे से संबन्धित लक्षण====================
रोगी का चेहरा लाल होना तथा रोगी को देखने पर ऐसा महसूस होना जैसे वे बहुत गुस्से में है। गाल गर्म होने के साथ गाल में दर्द होना तथा ठण्डी चीजे लगने से दर्द व गर्मी से आराम महसूस होना। गर्दन के पीछे ठण्डक महसूस होना। रक्तबहुल आकृति। चेहरे के स्नायुओं में दर्द होना जो सिर झुकाने या झटका देने से और बढ़ जाता है। रोगी के चेहरे पर इस तरह के लक्षण उत्पन्न होने पर रोग को फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
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======== दांत से संबन्धित लक्षण ====================
यदि रोगी के दांतों में दर्द होता है, दांतों का दर्द ठण्डा पानी पीने से शान्त रहता है तथा किसी भी प्रकार के शारीरिक हलचल होने पर दर्द बढ़ जाने के लक्षण वाले दांतों के दर्द में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। यदि गर्म पेय पदार्थ पीने से दांतों का दर्द बढ़ जाता है तथा ठण्डी चीजे पीने से आराम मिलता है तो ऐसे दर्द को ठीक करने के लिए भी इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए। यदि मसूढ़े सूजकर लाल हो गये हों और मसूढ़ों में डंक मारने जैसा दर्द होता हो तथा मसूढ़ों का दर्द भोजन करने से कम होता हो तो इस तरह के लक्षणों वाले दांत-मसूढ़े के रोग में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है।
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======सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण ===============
ऐसे रोग जिसमें रोगग्रस्त अंगों में तेज जलन होता है उन रोगों के शुरुआती अवस्था में ही रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन कराने से रोग ठीक होता है। फेफड़े में खून का जमा होना तथा रक्तनिष्ठीवन। रुक-रुककर बार-बार नाक में दर्द होने के साथ खांसी का आना तथा खांसते समय गले में गुदगुदी महसूस होना। क्रुप (क्रोप) अर्थात स्वरयन्त्र में रुकावट होने के साथ होने वाली खांसी। कठोर व सूखी खांसी के साथ छाती में तेज दर्द होना। गले में खराश। निमोनिया में शुद्ध खून का बलगम के साथ आना। रात को खांसी में आराम महसूस होना। इस तरह के लक्षण वाले खांसी रोग से पीड़ित रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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=======हृदय से संबन्धित लक्षण =====================
हृदय रोग की शुरुआती अवस्था में धड़कन व नाड़ी की गति तेज होना आदि लक्षणों से ग्रस्त रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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========नींद से संबन्धित लक्षण =====================
यदि बेचैनी उत्पन्न होने के कारण रोगी को नींद न आती हो। व्यक्ति को डरावने सपने आते हों। शरीर में खून की कमी के कारण रात को अधिक पसीना आता हो तो ऐसे लक्षणों से साथ उत्पन्न नींद रोगों में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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==========गले से संबन्धित लक्षण ==================
मुंह गर्म होना, गलतोरणिका लाल होना, गलतोरणिका में जलन, गले में जलनयुक्त घाव होना, गलतुण्डिकायें लाल और सूजी हुई, कान की नलियों (एयुटेचीन ट्युब) में जलन होना। गाने से आवाज खराब होना, गला बैठ जाना तथा स्वरयन्त्र के ऊपरी भाग की पुरानी सूजन आदि में फेरम फास्फोरिकम औषधि 2x का प्रयोग करना चाहिए। 
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गले तथा नाक का ऑपरेशन करने के बाद खून को रोकने के लिए तथा दर्द से आराम के लिए फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है। डिफ्थेरिया की शुरुआती अवस्था में, रक्तधर (वेस्कुलर) तथा रक्तबहुल प्रकृति के रोगियों को फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
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गले में दर्द होने के साथ गला सूजकर लाल होना, गले में खुश्की होना, अधिक बोलने पर गला बैठ जाना तथा टांसिल का बढ़ना आदि गले से संबन्धित लक्षणों में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन कराना लाभकारी होता है। यह औषधि गले संबन्धित सभी रोगों में उत्तम क्रिया करती है।
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=======आमाशय से संबन्धित लक्षण ===================
मांस तथा दूध से एलर्जी तथा उत्तेजक पदार्थ खाने की इच्छा न करना। भोजन का ठीक से न पचना तथा अपचा हुआ भोजन उल्टी के साथ बाहर आना। चमकते हुए लाल खून की उल्टी होना तथा खट्टी डकारें आना आदि लक्षण। आमाशय रोगग्रस्त होने के कारण उत्पन्न ऐसे लक्षणों में रोग को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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===========बुखार से संबन्धित लक्षण =================
प्रतिदिन दोपहर के बाद रोगी को ठण्ड अधिक लगना तथा सभी प्रकार के जुकाम एवं शरीर के जलनयुक्त बुखार होने पर रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि देनी चाहिए।
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==========पेट से संबन्धित लक्षण ====================
पेट का घाव तथा सूजन की शुरुआती अवस्था में इस औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। खूनी बवासीर। पानी की तरह पतले दस्त आना, लाल-लाल दाने होना, अपच तथा पेचिश की शुरुआती अवस्था जिसमें दस्त के साथ अधिक मात्रा में खून निकलता है। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगियों को फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन करना चाहिए।
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========त्वचा से संबन्धित लक्षण===================== 
त्वचा पर फोड़े-फुन्सियां, खसरा, चेचक और इरिसिपिलस के साथ बुखार रहने पर फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। त्वचा पर फोड़ा होने के शुरुआत में ही यदि फेरम फास्फोरिकम औषधि का सेवन कर लिया जाए तो फोड़ा में मवाद नहीं बनता है।
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===========मूत्र से संबन्धित लक्षण ===================
खांसते समय जोड़ लगाने से अचानक पेशाब का निकल जाना। पेशाब हो जाने पर पता न चलना। मूत्राशय ग्रीवा में उत्तेजना। पेशाब का बार-बार आना। इस तरह के मूत्र सम्बंधी लक्षणों में रोगी को फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
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==========स्त्री रोग से संबन्धित लक्षण=================
हर तीसरे सप्ताह मासिक धर्म होने के साथ प्रसव जैसा निम्नाभिमुखी दबाव और कपाल के ऊपरी भाग में दर्द होना। योनि सूखी व गर्म रहना आदि स्त्री रोगों के लक्षणों में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है।
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=========बाहरी अंगों से संबन्धित लक्षण ============= 
गर्दन में अकड़न। छोटे-छोटे जोड़ों में आमवाती दर्द होना। कमर अकड़ जाना। कंधों में आमवाती दर्द होने के साथ यह दर्द छाती व कलाई तक फैल जाना। अंगुलवेल। हथेलियों में गर्मी महसूस होना। हाथ में सूजन और तेज दर्द होना। बाहरी अंगों में ऐसे लक्षणों में फेरम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग किया जाता है।
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===========वृद्धि ===============================
रात के समय, सुबह 4 से 6 बजे तक तथा रोगग्रस्थ स्थान को छूने से, तथा चलने या दाईं करवट लेने से रोग बढ़ता है।
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=============शमन ============================
रोगग्रस्त अंगों पर ठण्डी चीज रखने या लगाने से रोग में आराम मिलता है।
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==============तुलना ==========================
फेरम फास्फोरिकम औषधि की तुलना ऐकोना, चाइना, जेल्सीमि तथा पाइरोफास्फो से की जाती है।
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==================मात्रा =====================
फेरम फास्फोरिकम औषधि 3 से 12 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।⁠⁠⁠⁠

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