दालचीनी के औषधीय उपयोग

दालचीनी के औषधीय उपयोग
दालचीनी के औषधीय उपयोग



दालचीनी विश्व में मसालों के रूप में काम में ली जाती है। यह एक पेड़ की छाल होती है।
=================================================

दालचीनी दो प्रकार की होती है :
*
मोटी दालचीनी : दालचीनी लघु, गर्म, तीखी, मधुर, कटु, रूक्ष और पित्तकारक होती है। यह बलगम, गैस, खुजली, अरुचि नाशक एवं दिल के रोग, मूत्राशय के रोग, बवासीर, पेट के कीड़े, पीनस (पुराना जुकाम) मिटाने वाली तथा वीर्य बढ़ाने वाली होती है।
================================================
पतली दालचीनी : यह मधुर, कड़वी, तीखी, सुगंधित, वीर्यवर्द्धक, शरीर के रंग को सुधारने वाली, वायु, पित्त, मुंह की सूजन और प्यास को मिटाती है।
================================================
स्वरूप : दालचीनी के पेड़ सिंहल, मालाबार आदि प्रदेशों में होते हैं। इसके पत्ते तमाल के पत्तों के जैसे होते हैं। पत्तों को सुंघाने से लौंग जैसी गंध आती है। इसका फूल गुलाब के फूल के समान महकता है। इसके फल करौन्दे के जैसे होते हैं। इनमें से तेल निकलता है। इसके फूलों का इत्र (परफ्यूम) भी बनाया जाता है।
================================================
दालचीनी का अधिक मात्रा में सेवन मसानों के लिए हानिकारक होता है।
================================================
मस्तगी और कतीरा दालचीनी के दोषों को दूर करते हैं।
=================================================
तुलना : तज से दालचीनी की तुलना की जा सकती है।
=================================================
मात्रा : 4 ग्राम से 9 ग्राम तक।
=================================================
दालचीनी मन को प्रसन्न करती है। सभी प्रकार के दोषों को दूर करती है। यह पेशाब और मैज यानी की मासिक-धर्म को जारी करती है। धातु को पुष्ट करती है। मानसिक उन्माद यानी कि पागलपन को दूर करती है। इसका तेल सर्दी की बीमारियों और सूजनों तथा दर्दो को शान्त करता है। सिरदर्द के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि होती है।
=================================================
दालचीनी, संकोचक, स्तम्भक, कीटाणुनाशक, वातनाशक, फफून्दनाशक, जी मिचलाना और उल्टी रोकने वाली, पेट की गैस दूर करने वाली है। चाय, कॉफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है।
=================================================
दालचीनी हल्की सी कड़वी व मीठी, सुगन्धित, वीर्यवर्द्धक (वीर्य बढ़ाने वाली) त्वचा के रंग में सुन्दरता बढ़ाने वाली, वात-पित्त नाशक, मुंह का सूखना और प्यास को कम करने वाली होती है।
==================================================
पालक ठण्डा होता है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठण्डी प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार दूसरे ठण्डे पदार्थों की प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्य शीतल पदार्थों की प्रकृति दालचीनी डालकर बदल सकते हैं।
==================================================
दालचीनी पित्त शामक होती है। यह अपनी गर्मी और तीक्ष्णत: के कारण गुर्दों, स्नायुविक संस्थान और दिल को उत्तेजित करती है। दालचीनी संकोचक और बाजीकरण होने से स्त्री, पुरुषों के यौनांगों (जननांग) के लिए लाभदायक होता है। यह गर्भवती स्त्री के लिए हानिकारक होती है। गर्भवती स्त्रियों को इसे नहीं लेना चाहिए अथवा कम मात्रा में लेना चाहिए।
==================================================
जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर तमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।
==================================================
दालचीनी से बना तेल उत्तम गुण वाला होता है। यह मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध होता है। इस तेल में दालचीनी जैसी गंध व स्वाद होती है। दालचीनी का नया तेल हल्का पीला तथा पुराना होने पर लाल से भूरे रंग का हो जाता है। दालचीनी का तेल भारी और गरिष्ठ होता है जो पानी में डालने पर डूब जाता है। दालचीनी में 2 प्रतिशत तेल होता है जो उड़नशील होता है। इस तेल में गोंद सिनेमिक एसिड, राल, टैनिन, शर्करा, स्टार्च, भस्म, आदि द्रव्य मिलते हैं। दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
===================================================
दालचीनी गर्म होती है। अत: इसे थोड़ी सी मात्रा में लेते हुए धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। परन्तु यदि किसी प्रकार का दुष्प्रभाव या हानि हो तो सेवन को कुछ दिन में ही बंद कर देते हैं और दुबारा थोड़ी सी मात्रा में लेना शुरू करें।
==================================================
दालचीनी पाउडर की उपयोग की मात्रा 1 से 5 ग्राम होती है। पाउडर चम्मच के किनारे से नीचे तक ही भरा जाना चाहिए। बच्चों को भी इसी प्रकार अल्प मात्रा में देते हैं। दालचीनी का तेल 1 से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है इसलिए इसे आंखों के पास न लगाएं।
==================================================
दालचीनी की तासीर गर्म होती है। अत: गर्मी के मौसम में इसका कम से कम मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। दालचीनी का सेवन लम्बे समय तक व लगातार मात्रा में नहीं करना चाहिए।
================================================
प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है। एक वस्तु 99 व्यक्तियों को लाभ करती है तो एक व्यक्ति को हानि भी कर सकती है। जैसे ही हानि प्रतीत हो हमें दालचीनी का सेवन बंद कर देना चाहिए।
================================================
बाहृय प्रयोग : दालचीनी को तिल के तेल पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करना चाहिए। दर्द वाले स्थान पर मालिश करने के बाद इसे रात भर रहने देते हैं। मालिश अगर दिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोएं।
================================================
दालचीनी की क्रिया श्वसन संस्थान पर अधिक होती है। यह कफ, जुकाम, क्षय (टी.बी) को नष्ट करती है। यह उत्तेजक, दर्दनाशक, स्नायु संस्थान में उत्तेजना लाने वाली, भूख बढ़ाने वाली, पाचक, अरुचि, उल्टी रोकने वाली, पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली, मल को गाढ़ा करने वाली, दस्त बंद करने वाली, बदबूनाशक तथा गैस निकालने वाली होती है। यह मूत्रवर्द्धक, हृदयशक्तिवर्द्धक, यकृत, उत्तेजक तथा शरीर में स्फूर्ति लेने वाली होती है। दालचीनी जननांगों में उत्तेजना देने वाली, वीर्य तथा शुक्रवर्द्धक होती है। यह त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।
================================================
दालचीनी को रोजाना सुबह-शाम चबाने से हकलापन दूर होता है।
================================================
दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।
================================================
दालचीनी को पीसकर शहद में मिलाकर रोगी को पिलाने से पित्त की उल्टी बंद हो जाती है।
================================================
5 ग्राम दालचीनी, 2 लौंग और चौथाई चम्मच सोंठ को लेकर पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। चौथाई पानी के शेष रहने पर छानकर इस पानी के 3 हिस्से करके दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से इनफ्लुएंजा में लाभ मिलता है।
================================================
2 ग्राम दालचीनी और अजवायन को बराबर मात्रा में लेकर 3 भाग करके भोजन से पहले चबाने से भूख लगने लगती है।
================================================
चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 कप पानी में उबालकर 3 बार पीते रहने से खांसी ठीक हो जाती है तथा बलगम बनना बंद हो जाता है।
================================================
50 ग्राम दालचीनी पाउडर, 25 ग्राम पिसी मुलहठी, 50 ग्राम मुनक्का, 15 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम शक्कर को लेकर बारीक पीसकर पानी मिलाकर मटर के दाने के आकार की गोलियां बना लेते हैं। जब भी खांसी हो 1 गोली चूसे अथवा हर 3 घंटे बाद एक गोली चूसे। इससे खांसी नहीं चलेगी और मुंह का स्वाद हल्का होगा।
================================================
1 भाग शहद, 2 भाग हल्का गर्म पानी और 1 छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को मिला लेते हैं। जिस जोड़ में दर्द कर रहा हो, उस पर धीरे-धीरे इसकी मालिश करें। दर्द कुछ ही मिनटों में मिट जाएगा।
=================================================
आलिव ऑयल गर्म करके इसमें 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर, लेप बनाकर, सिर में बालों की जड़ों व त्वचा पर स्नान करने से 15 मिनट पहले लगा लें। जिन लोगों के सिर के बाल गिरते हो और जो गंजे हो गये हो उन्हें लाभ होता है।
=================================================
दो मुंहे बालों का सबसे अच्छा यही उपचार है कि उन्हें काट दें। बालों को नियमित रूप से काट-छांटकर उन्हें दो मुंहा होने से बचाया जा सकता है। बालों की सुरक्षा हेतु दालचीनी का प्रयोग करें। इससे बाल मजबूत और सुरक्षित रहेंगे।
=================================================
2 चम्मच दालचीनी पाउडर और 1 चम्मच शहद को 1 गिलास हल्के गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे मूत्राशय के रोग नष्ट हो जाते हैं।
=================================================
दालचीनी का तेल दुखते दांत पर लगाने से दांत दर्द ठीक हो जाता है। चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर की फंकी गर्म पानी से दिन में 3 बार लेने से लाभ मिलता है। इसे 1 चम्मच शहद में भी मिलाकर दे सकते हैं।
=================================================
एक बड़े चम्मच शहद में चौथाई चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाकर एक बार रोजाना खाने से तेज व पुराना जुकाम, पुरानी खांसी और साइनसेज ठीक हो जाते हैं। इसे दिन में कम से कम 3 बार लेना चाहिए तथा रोग ठीक होने तक लेते रहें। रोग की प्रारम्भ में इसे 2 बार रोजाना लेना चाहिए।
=================================================
1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को मिश्री के साथ रोजाना 2-3 बार सेवन करने से जुकाम में आराम आता है। थोड़ी सी बूंदे इस तेल की रूमाल में डालकर सूंघने से भी लाभ होता है।

Post a Comment

0 Comments