जामुन का मधुमेह पर प्रयोग व अन्य औषधीय गुण

जामुन का मधुमेह पर प्रयोग व अन्य औषधीय गुण
जामुन का मधुमेह पर प्रयोग व अन्य औषधीय गुण


जामुन का पेड़ आम के पेड़ की तरह काफी बड़ा लगभग 20 से 25 मीटर ऊंचा होता है और इसके पत्ते 2 से 6 इंच तक लम्बे व 2 से 3 इंच तक चौड़े होते हैं। जामुन के पेड़ की छाल का रंग सफेद भूरा होता है। इसके पत्ते आम और मौलसिरी के पत्तों के जैसे होते हैं। 

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जामुन के फूल अप्रैल के महीने में लगते हैं और जुलाई से अगस्त तक जामुन (फल) पक जाते हैं। इसके कच्चे फल का रंग हरा और पका फल बैगनी, नीला, काला और अन्दर से गाढ़ा गुलाबी होता है। 
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खाने में जामुन का स्वाद कषैला, मीठा व खट्टा होता है। इसमें एक बीज होता है। जामुन छोटी व बड़ी दो प्रकार की मिलती है।
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बड़ी जामुन मधुर, गर्म प्रकृति की, फीका और मलस्तम्भक होता है तथा श्वास, सूजन, थकान, अतिसार, कफ और ऊर्ध्वरस को नाश करता है।
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यह मीठा, खट्टा, मीठा, रुचिकर, शीतल व वायु का नाश करने वाला होता है।
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वैज्ञानिकों के अनुसार : जामुन में लौह और फास्फोरस काफी मात्रा में होता है। जामुन में कोलीन तथा फोलिक एसिड भी होता है। जामुन के बीच में ग्लुकोसाइड, जम्बोलिन, फेनोलयुक्त पदार्थ, पीलापल लिए सुगन्धित तेल काफी मात्रा में उपलब्ध होता है। जामुन मधुमेह (डायबिटीज), पथरी, लीवर, तिल्ली और खून की गंदगी को दूर करता है। यह मूत्राशय में जमी पथरी को निकालता है। जामुन और उसके बीज पाचक और स्तम्भक होते हैं।
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जामुन का अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, बुखार, सीने का दर्द, कफ वृद्धि व इससे उत्पन्न रोग, वात विकारों के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसके रस को दूध के साथ सेवन न करें।
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1. जामुन को हमेशा खाना खाने के बाद ही खाना चाहिए।
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2. जामुन खाने के तुरन्त बाद दूध नहीं खाना चाहिए।
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कालानमक, कालीमिर्च और सोंठ का चूर्ण छिड़ककर खाने से उसके सारे दोषों दूर हो जाते हैं। साथ ही आम खाने से जामुन शीघ्र पच जाता है।
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रक्तातिसार में जामुन के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद के साथ पीना चाहिए या जामुन के पत्तों के रस में शहद, घी और दूध मिलाकर लेना चाहिए।
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गर्मी की फुंसियां में जामुन की गुठली को घिसकर लगाना चाहिए।
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जामुन के पत्तों का रस लगाना चाहिए। इससे बिच्छू का दंश ठीक हो जाता है।
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जामुन की दातून से रोज दांतों को साफ करना चाहिए इससे दांत मजबूत होते हैं और मुंह के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
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जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर उसकी राख को शहद के साथ खिलाने से खट्टी उल्टी आना बंद हो जाती है।
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हैजा से पीड़ित रोगी को 5 ग्राम जामुन के सिरके में चौगुना पानी डालकर 1-1 घण्टे के अन्तर से देना चाहिए। पेट के दर्द में भी सुबह-शाम इस सिरके का उपयोग करना चाहिए।
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जामुन की गुठली घिसकर लगाना चाहिए। इससे मुंहासे नष्ट हो जाते हैं।
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जामुन के पत्तों को पानी में उबालकर नहाने से पसीना अधिक आना बंद हो जायेगा।
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जामुन की छाल को नारियल के तेल में पीसकर जले हिस्से पर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है।
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टाईट, नया जूता पहनने या ज्यादा चलने से पैरों में छाले और घाव बन जाते हैं। ऐसे में जामुन की गुठली पानी में घिसकर 2-3 बार बराबर लगायें। इससे पैरों के छाले मिट जाते हैं।
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4 जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष ठीक हो जाता है।
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वीर्य का पतलापन हो, जरा सी उत्तेजना से ही वीर्य निकल जाता हो तो ऐसे में 5 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण रोज शाम को गर्म दूध से लें। इससे वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है तथा वीर्य भी बढ़ जाता है।
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15 ग्राम जामुन की गुठली को पीसकर 1-1 ग्राम पानी से सुबह और शाम पानी से लेने से बहुमूत्र (बार-बार पेशाब आना) के रोग में लाभ होता है।
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जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है।
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जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर तथा उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक व फिटकरी मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से पायरिया रोग ठीक होता है।
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जामुन, पीपल, बड़ और बहेड़ा 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 ग्राम जल में मिलाकर उबाल लें। रोजाना शौच के बाद मलद्वार को स्वच्छ (साफ) कर बनाये हुए काढ़ा को छानकर मलद्वार को धोएं। इससे गुदाभ्रंश ठीक होता है।
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मुंह में घाव, छाले आदि होने पर जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर गरारे करने से लाभ होता है।
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जामुन के पत्ते 50 ग्राम को जल के साथ पीसकर 300 मिलीलीटर जल में मिला लें। फिर इसके पानी को छानकर कुल्ला करें। इससे छाले नष्ट होते हैं।
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जामुन को पीसने के बाद प्राप्त हुए रस को 2 चम्मच की मात्रा में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
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जामुन की गुठलियों को पीसकर चूर्ण बनाकर चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
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जामुन के 3 पत्तियों को सेंधा नमक के साथ पीसकर छोटी-छोटी सी गोलियां बना लें। इसे 1-1 गोली के रूप में रोजाना सुबह सेवन करने से लूज मोशन (दस्त) का आना ठीक हो जाता हैं।
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जामुन के पेड़ की छाल का काढ़ा शहद के साथ पीने से दस्त और पेचिश दूर हो जाती है।
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जामुन और आम की छाल को बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
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पकी हुई जामुन खाने से मूत्र की पथरी में लाभ होता है। इसकी गुठली को चूर्णकर दही के साथ खाना भी इस बीमारी में लाभदायक है। इसकी गुठली का चूर्ण 1-2 चम्मच ठण्डे पानी के साथ रोज खाने से पेशाब के धातु आना बंद हो जाता है।
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जामुन की गुठली और आम की गुठली के भीतर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ पीने से बवासीर ठीक होती है तथा बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।
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जामुन के पेड़ की छाल का रस निकालकर उसके 10 ग्राम रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है तथा खून साफ होता है।
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जामुन के पेड़ की जड़ की छाल का रस 2 चम्मच और छोटी मधुमक्खी का शहद 2 चम्मच मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में खून का गिरना रुक जाता है।
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10 ग्राम जामुन के रस को प्रतिदिन तीन बार सेवन करने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
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जामुन के पत्ते का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट होता है। 
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छाया में सुखाई जामुन की छाल का चूरन 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में ही श्वेतप्रदर का रोग नष्ट हो जाता है।
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200-300 ग्राम बढ़िया पके जामुन रोजाना खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर होती है।
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पका हुआ जामुन खाने से पथरी रोग में आराम होता है। गुठली का चूर्ण दही के साथ खाएं। इससे पथरी नष्ट हो जाती है।
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जामुन के 1 चम्मच रस को थोड़े-से गुड़ के साथ लेने से अम्लपित्त में लाभ मिलता है।
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5 ग्राम की मात्रा में जामुन के कोमल पत्तों का रस निकालकर उसको कुछ दिनों तक पीते रहने से यकृत वृद्धि से छुटकारा मिलता है।
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मधुमेह रोग के शुरुआत में ही जामुन के 4-4 पत्ते सुबह-शाम चबाकर खाने से तीसरे ही दिन मधुमेह में लाभ होगा।
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जामुन की गुठली को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम 3 ग्राम ताजे पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है और मूत्र घटता है। इसे करीब 21 दिनों तक लेने से लाभ होगा।
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जामुन की गुठली और करेले को सुखाकर समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ फंकी लें। इससे मधुमेह मिट जायेगा।
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जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 2-2 ग्राम चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।
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जामुन के बीजों को पानी में घिसकर लगाने से चेहरे के मुंहासे मिट जाते हैं।
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जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियां बना लें। रोजाना 4 बार 2-2 गोलियां चूसें। इससे बैठा हुआ गला खुल जाता है। भारी आवाज भी ठीक हो जाती है और ज्यादा दिन तक सेवन करने से बिगड़ी हुई आवाज भी ठीक हो जाती है जो लोग गाना गाते हैं उनके लिये यह बहुत ही उपयोगी है।
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जामुन की गुठलियों को सुखाकर बारीक-बारीक पीस लें। फिर इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। इससे गले की सूजन नष्ट हो जाती है।
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